Danteshwari Temple in Dantewada, Chhattisgarh
दंतेश्वरी मंदिर
दंतेश्वरी मंदिर छतीसगढ राज्य के बस्तर क्षेत्र के दतेवाडा जिले में स्थित है। यह मंदिर दंतेवाड़ा जिले के शंखिनी और डंकिनी नदियों के संगम पर स्थित है। यह मंदिर बस्तर क्षेत्र का एक आनोखा मंदिर है, जिसे माॅ दंतेश्वरी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर घोर जंगल और पहाड़ों के बीच स्थित है। दतेवाडा जिले का नाम दंतेश्वरी माता के नाम पर रखा गया है।
![]() |
Danteshwari Temple in Dantewada |
दंतेश्वरी मंदिर का निर्माण लकडी के 24 खम्बों से किया गया है। इन खंबों में ओडिशा के कलाकारों द्वारा बहुत ही खूबसूरत नक्काशी की गई है।
मंदिर में दंतेश्वरी माता की मूर्ति संगमरमर से निर्मित की गई है। मंदिर में विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित है जो लकडी के बने हुए है। दंतेश्वरी मंदिर में सरस्वती देवी की मूर्ति भी स्थापित की गई है। सरस्वती देवी की मूर्ति की स्थापना 1958 में महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव ने कराई थी। मंदिर के प्रवेश द्वार पर विष्णु के दस अवतारों का वर्णन किया गया है। उसके उपर गरूड का चित्र बना हुआ है।
इस मंदिर में सिले हुए वस्त्रों को पहनकर जाने की मनाही है। यहां पुरूष केवल धोती यां लुगी पहनकर ही आ सकते हैं।
यह मंदिर एक प्रसिध्द शक्तिपीठ है। धार्मिक गंथों के अनुसार यह पर देवी सती का दांत गिरा था। इसलिए इस मंदिर का नाम दंतेश्वरी पडा।
इस मंदिर का निर्माण 14वीं सदी में चालुक्य राजाओं ने किया था। इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय वास्तुकला में किया गया है। मंदिर में काले रंग के पत्थर की मूर्ति स्थापित है। यहां देवी की षष्टभुजी मूर्ति स्थापित है। छह भुजाओं में देवी ने दाएं हाथ में शंख, खड्ग, त्रिशूल और बांए हाथ में घटी, पद्घ और राक्षस के बाल धारण किए हुए हैं। मंदिर में देवी के चरण चिन्ह भी मौजूद हैं। मूर्ति के ऊपरी भाग में नरसिंह अवतार का स्वरुप है। देवी के सिर के ऊपर छत्र है, जो चांदी से निर्मित है। देवी माॅ वस्त्र आभूषण से सजी हुई है। मंदिर के द्वार पर दो द्वारपाल दाएं-बाएं खड़े हैं । मंदिर में भगवान गणेश, विष्णु, शिव की प्रतिमाएं भी स्थापित है। मंदिर में नवग्रह की प्रतिमा भी स्थापित है। मंदिर की छत खपरैल है।
![]() |
Danteshwari Temple |
मंदिर के पास शंखिनी और डंकिनी नदियों के पास देवी के चरण चिन्ह भी मौजूद हैं। यह पर मांगी गई हर इच्छा पूरी होती है।
माँ दंतेश्वरी मंदिर के पास ही में माँ भुनेश्वरी का मंदिर है। माँ भुनेश्वरी माॅ दंतेश्वरी की छोटी बहन है। माँ भुनेश्वरी और माॅ दंतेश्वरी की आरती एक साथ होती है और एक ही समय भोग लगाया जाता है। माँ भुनेश्वरी को मावली माता, माणिकेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर के एक और खासियत यह है कि इस मंदिर परिसर में एक स्तंभ है जिसके बारे में कहा जाता है कि जिस किसी भक्त के हाथों में यह स्तंभ समा जाता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। यह स्तंभ मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने है। जिसे गरूड़ स्तंभ कहा जाता है। जिसे श्रद्धालु पीठ की ओर से बांहों में भरने की कोशिश करते हैं। मान्यता है कि जिसकी बांहों में स्तंभ समा जाता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
मंदिर में नवरात्रि के समय बहुत ही भीड होती है। मंदिर में शरद व चैत्र नवरात्रि पर यहां हजारों मनोकामनाएं ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं।
रायपुर देश के अन्य भाग से सडक, रेल एवं वायु तीनो माध्यम से जुड हुआ है। आप रायपुर तक आसानी से पहॅुचे सकते है। रायपुर से दतेवाडा के लिए बस चलती है। आप यहाॅ से मंदिर तक आसानी से पहुॅच सकते है।
यह पर आपको रूकने के लिए धर्मशाला एवं निजी होटल मिल जाएगी ।