Harsiddhi Mata Mandir
हरसिध्दि माता का मंदिर
हरसिध्दि माता का मंदिर उज्जैन में स्थित है। उज्जैन में हरसिद्धि माता का मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के पीछे पश्चिम दिशा में स्थित है। दोनों मंदिरों के बीच पौराणिक रूद्रसागर स्थित है। दोनों मंदिरों में माता श्रीयंत्र के उपर विराजमान है। मंदिर परिसर में परमार कालीन बाबडी भी स्थित है। यह का मुख्य आकर्षण मंदिर परिसर में स्थित विशालकाय दीप स्तभं है। जो नर एवं नारी का प्रतीक माने जाते है। दोनों स्तंभ में एक बडा एवं एक छोटा है। कुछ लोग इन्हें शिव एवं पार्वती का स्वरूप भी मानते है। दोनों स्तंभ में 1100 दीप है। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य माता के परम भक्त थे। कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने हर बारह वर्ष में एक बार माता को अपना सिर अर्पण करते थे। ग्यारह बार उन्होने ऐसा किया तो उनका सिर जुड गया लेकिन बारहवीं बार में उनका सिर नहीं जुड पाया एवं उनका जीवन समाप्त हो गया । आज भी मंदिर के एक कोने में सिंदूर लगे रूण्ड रखे है कहते है यह राजा विक्रमदित्य के सिर है।
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Harsiddhi Temple |
यहां मंदिर 51 शक्ति पीठ में से भी एक है। सती माता के अंग जिस स्थल पर गिरे उस स्थान पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ है। इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी। यह मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन के साथ साथ गुजरात के द्वारका में भी स्थित है । मान्यता है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने यहीं से माता को प्रसन्न करके उज्जैन लाए थे। तब माता ने विक्रमदित्य से कहा था कि दिन के समय मै यह और रात के समय तुम्हारे नगर में वास करूगी। इसलिए तब से सुबह की आरती गुजरात के मंदिर में होती है और शाम की आरती मध्यप्रदेश में । मान्यता है उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य की यह कुलदेवी हैं । यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी प्रसिध्द है और मंदिर में माता हरसिध्दि के साथ साथ महालक्ष्मी माता और सरस्वती माता भी विराजमान है।
यहां मंदिर उज्जैन रेल्वे स्टेशन से करीब 1 किमी की दूरी पर स्थित है। यहा पर आप किसी भी माध्यम से जा सकते है। यहां पर नवरात्री में बहुत ही अच्छा माहौल होता है। यहां पर मंदिर के समीप अनेक धर्मशालाएॅ स्थित है। आप इसके अलावा सरकारी गेस्ट हाउस में भी रूक सकते है।
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