कान्हा राष्ट्रीय उद्यान व बाघ अभयारण्य :- मंडला एवं बालाघाट, मध्य प्रदेश

Kanha National Park or Tiger Reserve

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान व बाघ अभयारण्य


कान्हा राष्ट्रीय उद्यान व बाघ अभयारण्य भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के मंडला  एवं बालाघाट जिलों में स्थित है. कान्हा नेशनल पार्क में हम बाघों के अलावा पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ हिरण प्रजातियों में से एक - बारहसिंगा (दलदली हिरण) को भी देखने का मौका मिलता हैं। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य हरे भरे साल एवं बांस के पेड घास के मैदान तथा शुद्ध व शांत वातावरण किसी भी व्याक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह प्रकृति प्रमियों के लिए एक स्वर्ग से कम नहीं है। कहा जाता है कि लेखक श्री रुडयार्ड किपलिंग को ‘जंगल बुक’ नामक विश्व प्रसिद्ध उपन्यास लिखने के लिए इसी जंगल से प्रेरणा मिलीं थी। इस पार्क में आप तेंदुआ, गौर (भारतीय बाइसन), चीतल हिरण, सांभर, बार्किंग डीयर, सियार इत्यादि 22 स्तन धारी जानवरों, पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियों, 29 सरीसृप और हजारों कीट देख सकते हैं। यह पर आप वन्य प्राणी को देखने के अलावा बैगा और गोंड अदिवासियों की  संस्कृति व रहन सहन को देख सकते है।





कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना अभ्यारण्य में से एक है। इस उद्यान को 1879 में आरक्षित वन तथा 1933 में अभयारण्य घोषित किया गया था और कान्हा 1955 में एक राष्ट्रीय उद्यान बन गया। यह 1973 में बाघ अभयारण्यों की सूची में शामिल हो गया।

कहा जाता है इस क्षेत्र की काली मिटटी बहुत उपजाउ है जिसे कानहर के नाम से जाना जाता है। इस कारण इस वन क्षेत्र का नाम कान्हा पडा । एक अन्य कहानी भी प्रचालित है जिसके अनुसार कालिदास जी द्वारा रचित ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ में वर्णित ऋषि कण्व यहां के निवासी थे तथा उनके नाम पर इस क्षेत्र का नाम कान्हा पड़ा.

यह पार्क 940 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। मैकाल पहाड़ी रेंज इसकी पूर्वी सीमा बनाती हैं. यह समुद्र स्तर से 2000 से 3000 फुट तक की उचाई पर स्थित है.  ऊँचाई वाले समतल पठारों में घास के मैदान के रूप में है इसे स्थानीय भाषा में दादर के नाम से जाना जाता है. बम्हनी दादर नामक पठार कान्हा का सबसे ऊँचा स्थान है. नर्मदा नदी की दो सहायक नदियां बंजर व हलोन इस पार्क के बीच से बहती है


कान्हा के पर्यटन आकर्षण

बारहसिंगा

बारहसिंगा
बारहसिंगा या दलदल का मृग हिरन की एक प्रकार की जाति है । यह एक दर्लुभ प्रजति है। बारहसिंगा की यह विशेषता है कि इसकी सींग दो नही होती है दो से अधिक होती है। वयस्क नर में इसकी सींग की १०-१४ शाखाएँ होती हैं, हालांकि कुछ की तो २० तक की शाखाएँ पायी गई हैं। इस कारण इन्हें बारहसिंगा कहते है।



बाघ को देखना

आप कान्हा नेशनल पार्क में बाघों को नजदीक से देख सकते है। बाघ का देखने के लिए पर्यटकों को हाथी की सवारी की सुविधा दी गई है।


Tigar

पक्षी

कान्हा नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के पक्षी आपको देखने मिल जाएगें। यहां पर लगभग 300 पक्षियों की प्रजातियां हैं। पक्षियों की इन प्रजातियों में स्थानीय पक्षियों के अतिरिक्त सर्दियों में आने प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं।


Birds

कान्हा संग्रहालय

कान्हा नेशनल पार्क में आप कान्हा संग्रहालय को देख सकते है। जिससे आपको कान्हा के इतिहास के बारे मे पता लग सके। इस संग्रहालय में कान्हा का प्राकृतिक इतिहास संचित है। संग्रहालय यहां के शानदार टाइगर रिजर्व का दृश्य प्रस्तुत करता है। इसके अलावा यह संग्रहालय कान्हा की रूपरेखा, क्षेत्र का वर्णन और यहां के वन्यजीवों में पाई जाने वाली विविधताओं के विषय में जानकारी प्रदान करता है।



बामनी दादर

यह पार्क का सबसे खूबसूरत स्थान है। यहां का मनमोहक सूर्यास्त पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। घने और चारों तरफ फैले कान्हा के जंगल का विहंगम नजारा यहां से देखा जा सकता है। इस स्थान के चारों ओर हिरण, गौर, सांभर और चैसिंहा को देखा जा सकता है।



दुर्लभ जन्तु

कान्हा नेशनल पार्क मे आपको अनेक जीव जन्तु मिल जाएंगे जो दुर्लभ हैं।



जीप सफारी

जीप सफारी सुबह और दोपहर को प्रदान की जाती है। जीप मध्य प्रदेश पर्यटन विकास कार्यालय से किराए पर ली जा सकती है। सफारी का समय सुबह ६ बजे से दोपहर के १२ बजे तक और दोपहर मे ही ३ बजे से शाम के ५रू३० बजे तक निर्धारित किया गया है। एक जिप्सी में 6 लोगों को भ्रमण की अनुमति दी जाती जिससे वे प्रकृति का आनंद ले सके और उनके प्राकृतिक घर में जंगली जानवरों को देख सकते हैं। बुधवार को शाम के समय अभयारण्य पर्यटन के लिए बंद रहता है । सफारी के प्रवेश परमिट होना जरूरी है। प्रवेश परमिट आप सीधे MP-ONLINE कि वेबसाइट से बुक किया जा सकता है। जंगल एवं जानवरो को समझाने के लिए एक गाइड  वन विभाग द्वारा प्रवेश द्वार पर ही किया जा सकता है। यहां सफारी चार जोन में होती है कान्हा, किसली, सरही तथा मुक्की ।


Jeep Safari


कान्हा नेशनल पार्क के चारो ओर बफर क्षेत्र में आदिवासी लोग रहते है। जिससे आपके उनकी संस्कृति और दैनिक कार्यकलाप देखने के लिए गांव का भ्रमण भी कर सकते है तथा जंगल को पास से देखने व समझने के लिए एव  पक्षी निहारने के लिए पैदल जंगल भ्रमण किया जा सकता हैं। कान्हा नेशनल पार्क के प्राकृतिक परिवेश और शांत वातावरण में साधारण स्वस्थ भोजन, योग और ध्यान के साथ स्वास्थ्य पर्यटन का आनंद भी लिया जा सकता है. आप यह पर फोटोग्राफी भी कर सकते है। कान्हा में विभिन्न प्रकार के पक्षी एवं अन्य जंगली जीव का आप फोटो भी ले सकते है।



कान्हा नेशनल पार्क 1 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है। सर्दियों में यह इलाका बेहद ठंडा रहता है। सर्दियों में गर्म और ऊनी कपड़ों की आवश्यकता होगी। नवम्बर से मार्च की अवधि सबसे सुविधाजनक मानी जाती है। दिसम्बर और जनवरी में बारहसिंहा को नजदीक से देखा जा सकता है।


यह पर आपको ठहरने के लिए काफी होटल मिल जाएगें । आप यह पर उचित मूल्य देकर रूक सकते है।

कान्हा नेशनल पार्क कैसे पहुॅचे

वायु मार्ग

कान्हा नेशनल पार्क से लगभग 266 किलोमीटर की दूरी पर नागपुर एयरपोर्ट स्थित है। यह इंडियन एयरलाइन्स की नियमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी के माध्यम से कान्हा नेशनल पार्क पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग

जबलपुर रेलवे स्टेशन कान्हा नेशनल पार्क का सबसे नजदीकी स्‍टेशन है। जबलपुर कान्हा से लगभग 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से राज्य परिवहन निगम की बसों या टैक्सी से कान्हा पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग

कान्हा राष्ट्रीय पार्क सडक के माध्यम से राज्य के मुख्य शहर जैसे जबलपुर, खजुराहो, नागपुर, मुक्की और रायपुर से सीधा जुड़ा हुआ है।

No comments:

Danteshwari Temple in Dantewada, Chhattisgarh दंतेश्वरी मंदिर  दंतेश्वरी मंदिर छतीसगढ राज्य के बस्तर क्षेत्र के दतेवाडा जिले में स्थित...