Deur Kothar
देउर कोठार
देउर कोठार भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रीवा जिले में स्थित एक पुरात्वात्विक स्थल है। यह रीवा के जिला मुख्यालय से लगभग 75 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। देउर कोठार, रीवा-इलाहाबाद मार्ग के सोहागी में स्थित है। यह स्थल अपने बौद्ध स्तूप के कारण प्रसिद्ध है जो १९८२ में प्रकाश में आये थे। ये स्तूप अशोक के शासनकाल में निर्मित किये गए थे।
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देउर कोठार |
यहां पर आपको लगभग 2 हजार वर्ष पुराने बौद्ध स्तूप और लगभग 5 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र गुफाएँ देखने मिल जाएगी। यहां पर मौर्य कालीन मिट्टी ईट के बने 3 बडे स्तूप और लगभग 46 पत्थरो के छोटे स्तूप बने है। इन स्तूपों के निर्माण के बारे में किदवंती है कि बौद्घ धर्म के प्रचारक दलाई लामा ने इस स्तूप की आधारशिला रखी थी। इस स्थान का जिक्र बौद्घ धर्म की पुस्तकों में भी मिलता है। यह पर देशभर से लोग इस स्तूप में आते है। यह स्थल मध्यप्रदेश और उतर प्रदेश दो राज्यों से लगा हुआ है। यह स्थल बौद्घ भिक्षुकों की आस्था के केंद्र के रूप में माना जाता है। देउर कोठार में भगवान बुद्घ व बौद्घ भिक्षुओं के प्रमाण मौजूद हैं। इस स्थल पर बौध्द भिक्षु ने तपस्या की और बौद्घ धर्म का प्रचार भी किया है। अशोक के शासन काल में विध्य क्षेत्र में बौध्द धर्म का प्रचार प्रसार किया गया था और स्तूपों का निर्माण किया गया। ऐसा माना जाता है कि यह स्तूप भरहुत से अधिक प्राचीन स्तूप है। यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों का शिक्षण केन्द्र था जिसके प्रमाण यह मिले है। यहंा पर खुदाई के दौरान तोरणद्वार के अवशेष, मौर्य कालीन ब्राही लेख के अभिलेख, शिलापट्ट स्तंभ और पात्रखंड बडी संख्या में मिल है
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शैलचित्र |
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